Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

January 23, 2011

भोपाल .

कभी इस शहर के पेड़ इसकी सड़कों से इश्क किया करते थे.
झूम के उन्हें अपने सायों के आगोश में भरा करते थे .
हर सड़क पे  इक खुशगवार सा मंज़र रहता  था -
कभी  रंगों और खुशबू का और छाँव की फैलती बाहों का .

लेकिन अब हर गली-चौराहे पे ,लाशें बिछी हैं -
बूढ़े और जवान पेड़ों की ,सब औंधे मुंह पथराई आँख देखते हैं.
मैंने देखा- JCB राक्षश के पीले जबड़े ,बूढ़े बरगद की बेइंतहा जड़े कुरेद रहे थे.
ओर पुराने नीम के ढेर ,चिता की लकड़ी की तरह सजे थे ,सड़क किनारे.

अब यह शहर तरक्की कर रहा है,और तरक्की पेड़ों से नहीं,
अजगर जैसी जानलेवा सडकों से होती है -जिनके पेट कभी भरते नहीं.
अब तो खाक उड़ती है ,और गाड़ियाँ भी -पंछियों को परवाज़ मगर नसीब नहीं.
कोह-ए-फिजा और ईदगाह से हो कर जहन्नुम की सड़क गुज़रती है यहीं से कहीं.

रात को देखा , बुझते कोयले जैसा मद्धम चाँद टंगा था ,शर्मिंदा सा
इक सब्ज शाख भी न मिली जिसे , अपना खिलता रुख छिपाने को.

January 18, 2011

Food Porn.

Some light-hearted moments of deliciousness !
Guavas
One fat, yellow guava 
Rightly ripe : sits on my desk.
Aching to burst its sweetness
Into my hungering mouth.
Scented , pink-fleshed tempter ,
I savour every moment of you.
The best I ever had .
Oranges
I so love oranges.
The dimpled lush body
belying the piquant heart.  
The heady smell ,
so clean,yielding to
my eager fingers; juice
running down my chin .
Chocolat.
Take me for a walk
dear dark Chocolat .
When I see you , I can hardly think
Your aroma fills me -
Your bittersweet taste lingers.
Edgy and divine : like first love.

January 12, 2011

अहा ! तपिश .


कल कई दिन बाद सूरज खुल के मुस्कुराया
तो दिल गुन-गुनाया ,
ये ख्याल  आया-
यूं तो जमे हुए दिल भी धड़कते हैं,
पंछी धुंध में भी पर फड़कते हैं .,
फ़िर भी थोड़ी तपिश हर रोज़
life में कितनी ज़रूरी है .
उगने के लिए,
बढ़ने के लिए,
खिलने के लिए,
खिल-खिलाने  के लिए .
नहीं तो बेवजह लगता है कुछ कमी सी है
किसी से कोई शिकवा भी नहीं,पर मौसम में ग़मी सी है.

January 6, 2011

कोहरा.


पेड़ लगे हैं सोये-सोये
दूर ख्यालों में खोये-खोये.
हवा नम है - उजाले कम हैं.
एक झीनी चादर मलमल की-
थोड़ी भीगी-भीगी सी.
डली है हर ओर.
ओढ़ के झांकें
ओट से ताकें
बदल के रूप
छिपे -छिपाएं.
खेलें सौ-सौ खेल.
कभी बुत
कभी भूत
कभी बस धुआं-धुआं.
धुंध का गहरा कुआं.
मुंह छिपा कर ज्यों पूछें बच्चे
- बोल माँ-बूझ मैं कौन?
मैं कहाँ ?
-कोहरे में,
मौसम की मासूमियत-
दिलकश भी है,
दिलफरेब भी,
जानलेवा भी.

January 4, 2011

Winter Haikus.

A cup of hot tea
and some empathy
diffuse :  winter blues.
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Darjeeling
is appealing.
Assam-
Awesome.
Espresso 
less so.
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A toasty Tea
you will agree
is Bliss :
Green without caffeine
or a luscious Black
with a sugar and milk Jack.