Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

March 29, 2011

गर्ल्स हॉस्टल के मोर !

Girls hostel की दीवार से सटे 
इमली के बूढ़े दरख्तों में 
कुछ मोर बसेरा करते हैं.
हर शाम कमरों तक पहुँचती शाखों पे -
कलगी तान ,पंख झुला,
एक सुर-ताल में आलापते हैं .
मेओ-मेओ या मैं हूँ मैं हूँ ?
शायद उन में 
गुज़रे मजनूओं की रूहें बसती हैं !!

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