Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

October 17, 2011

मौसम के मिजाज़ .

अक्टूबर  का महीना 
कितने सधे हुए हैं मौसम के मिजाज़  :
धूप की तल्खियाँ  कुछ कम 
हवाओं के रुख भी नर्म 
कुछ ठंडक का अहसास है भी , और नहीं भी 
कुछ  गर्माहट की याद है भी  ,और नहीं भी
कुछ अगले मौसम के वादे
कुछ बीती रुत की बातें 
अभी सब नपी-तुली सी 
हैं भी पर नहीं भी.

October 3, 2011

डर.

डर  -
मैं  इस  जुमले  से बहुत घबराती थी.
अंधेरों में मिलती थी-
तो सकुचाती थी .
पर आज जो दिन की खुली धूप में मिली -
तो सोचा,
जो नाखून और दांत मेरी बंद आँखों ने , डर पे सजाये थे ,
वो तो मेरी ही  देन  थे .
 मैं ही उसे पाल-पोस कर बड़ा कर रही थी.
फिर अपने बनाये खिलौने से डर रही थी .