Words can create magic and I want to get lost in them for some part of each day.

May 24, 2012

जी चाहता है ...

कई रोज़, किसी काले  बादल को खोल कर गटागट पीने को ,
या आसमान की नीली चादर ओढ़ कर सोने को जी चाहता है।

उपले ,बाड़े ,फूस ,खेत सूंघने का 
या गीली मिट्टी में खेलने -लोटने का जी चाहता है।

लक्ष्मी गाय ,मोती कुत्ता , मोटा बिल्ला सब पर प्यार जताने को ,
या बिन नाम की ढीठ ,शोर मचाती मुर्गियों पर झूठ -मूठ गुस्साने को जी चाहता है।

किसी ऊंचे  से टीले पर चढ़ कर बोल लगाने का -
जो छूट गया है - उसे वापस बुलाने का जी चाहता है।

आ तो गयी मैं सधे क़दमों से बहुत दूर  तक 
पर अचानक मुड़ कर दौड़ जाने का जी चाहता है।

जानती हूँ , कि जिस गोबर लिपे  आँगन में  मैंने 
इत्मीनान की  चारपाई  बिछाई थी :

वह अब बस सपना है -
फिर भी जाने ये दिल क्या -क्या चाहता  है।

May 14, 2012

The coils of Oil.

Navigating Oil 
is a tricky Business .
Like the Pakora ,
At right temperatures ,
You may puff up with self -importance 
And feel like a hot-shot for a while.
But a bit of squeezing or freezing 
and all you get is 
a blob of sad and soggy distasteful mess.
For thats what is left 
of the real you -
minus the oil .

May 8, 2012

पहिया .

कभी  कभी लगता है :
मैं  सिर्फ एक पहिया हूँ -

बस मील मापती  रहती  हूँ 
और धूल फाँकती  रहती हूँ 

हर मंज़िल मुझसे बेखबर 
है फिरना मुझ को दर-ब -दर 

उनींदी आँखें लिए जागती रहती हूँ 
बस पड़ाव ताकती रहती हूँ 

मेरे चलने से ही सब कुछ चलता है 
फिर भी , बस ठहराव की मोहलत मांगती रहती हूँ।

May 2, 2012

Friends and Relations.

न दोस्तों में करते हैं ,न दुश्मनों में करते हैं 
उनकी गिनती अब हम बर्फ़ाब अना की पथराई हुई लकीरों में करते हैं।

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माना की अक्सर दोस्ती के लिबास में अगियार मिले
मगर रहजन इत्तेफाक़न कई दिलदार मिले।
कभी दो मिले ,कभी चार मिले -
भीड़ में कुछ तो अपने यार मिले। 
***